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Rajgarh constituency : राजगढ़ में कोन किसपर पड़ेगा भारी, क्या इस बार कांग्रेस बरकरार रख पाएगी सीट ?

राजगढ़ विधानसभा सीट को किसी पार्टी का गढ़ नहीं माना जा सकता. यहां किसी चुनाव में बीजेपी तो किसी में कांग्रेस जीतती आई है. साथ ही...


राजगढ़ विधानसभा सीट को किसी पार्टी का गढ़ नहीं माना जा सकता. यहां किसी चुनाव में बीजेपी तो किसी में कांग्रेस जीतती आई है. साथ ही 2 बार यहां से निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत चुके हैं. यह सिलसिला 1993 से लगातार चला आ रहा है. अब तक हुए चुनाव में यहां से 6 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी समर्थित उम्मीदवार जीत चुके हैं.

Rajgarh constituency : राजगढ़ में कोन किसपर पड़ेगा भारी, क्या इस बार कांग्रेस बरकरार रख पाएगी सीट ?

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव . यहां पर दावेदार मतदाता को रिझाने लगे है. प्रदेश के राजगढ़ में भी हलचल बनी हुई है. जिले के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें राजगढ़ विधानसभा सीट भी इसमें शामिल है. राजगढ़ जिला को दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता है लेकिन इस विधानसभा सीट पर किसी पार्टी का गढ़ नहीं माना जा सकता. फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. मध्य प्रदेश में एक चरण में 17 नवंबर को वोटिंग कराई जाएगी. भारतीय जनता पार्टी ने राजगढ़ सीट से अमर सिंह यादव को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने बापू सिंह तंवर के रूप में यहां पर अपनी चुनौती पेश की है.

राजगढ़ सीट का राजनीतिक इतिहास

राजगढ़ विधानसभा सीट को किसी पार्टी का गढ़ नहीं माना जा सकता. यहां किसी चुनाव में बीजेपी तो किसी में कांग्रेस जीतती आई है. साथ ही 2 बार यहां से निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीत चुके हैं. यह सिलसिला 1993 से लगातार चला आ रहा है. अब तक हुए चुनाव में यहां से 6 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी समर्थित उम्मीदवार जीत चुके हैं. 2 चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भी जीतने में कामयाब रहे हैं

सामाजिक ताना बाना

राजगढ़ विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण देखें तो इस क्षेत्र में तंवर समाज के करीब 45 हजार लोग रहते हैं. इसके अलावा सोंधिया समाज के करीब 48 हजार, यादव समाज के करीब 10 हजार वोटर्स रहते हैं. करीब-करीब इतने ही दांगी समाज और गुर्जर समाज के भी वोटर्स हैं. बाकी अन्य कई समाज के वोटर्स यहां रहते हैं. इस सीट पर कांग्रेस जातिगत समीकरण के आधार पर बदल-बदल कर टिकट तय करती आई है. वहीं बीजेपी अपने सर्वे के आधार पर टिकट निर्धारित करती आई है.

राजगढ़ में मां जालपा देवी और खोयरी महादेव के अति प्राचीन मंदिर हैं. 

राजगढ़ विधानसभा सीट का इतिहास रोचक है। पिछले 25 साल के रेकॉर्ड को देखें तो यहां कोई भी विधायक लगातार दोबार विधानसभा तक नहीं पहुंचा है। किसी का टिकट कट गया तो कोई हार गया। अब इस चुनाव में अमर सिंह यादव को भाजपा ने मौका दिया है। वे साल 2013 में कांग्रेस के शिव सिंह को 51 हजार मतों से हराने के बाद 2018 के चुनाव में कांग्रेस के बापूसिंह से लगभग 29 हजार मतों से हार गए थे। उनके सामने एक बार फिर कांग्रेस के बापू सिंह तंवर चुनाव मैदान में हैं।

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