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आनंद यात्रा के तीन दिवस –आनंदपूर्वक जीवन जीने की दृष्टि दी

आनंद यात्रा के तीन दिवस ✍️ राजगढ़    हम कहां जी रहे हैं, कैसे जी रहे, पहले शायद होश भी नहीं था। बहुत बहुत धन्यवाद राज्य आनंदम वि...


आनंद यात्रा के तीन दिवस

✍️ राजगढ़

   हम कहां जी रहे हैं, कैसे जी रहे, पहले शायद होश भी नहीं था। बहुत बहुत धन्यवाद राज्य आनंदम विभाग का, जिसमे हमे होश और आनंदपूर्वक जीवन जीने की दृष्टि दी। 

आभारी हैं हमारे कलेक्टर महोदय हर्ष दीक्षित सर के जिन्होंने हमें इस आनंदम सहयोगी रिफ्रेशर प्रशिक्षण में भाग लेने हेतु राजगढ़ जिले से सी डब्ल्यू सी सदस्य श्रीमती रश्मि तिवारी शासकीय कर्मचारियों में से घनश्याम मौर्य डाइट राजगढ़, सोना अवस्थी मा. वि. कचनारिया को चयन कर भेजा ।

   कितने भ्रमजाल टूटे हैं, जो कष्टपूर्ण जीवन का कारण थे । ये कर लेंगे, वो पा लेंगे, धन सुख देगा, पद प्रतिष्ठा आंनद देगी, इसी आकांक्षा में एक अनवरत और दिशाहीन दौड़ जारी थी, लेकिन आंनद कोसो दूर था। सुख की तलाश में ज्ञान की भूख जगी तो ज्ञान से मस्तिष्क भर लिया । किताबी और उधार ज्ञान से विद्वता आई लेकिन नई दिशाहीन दौड़ शुरू हो गई, जिसकी मंजिल आनंद कदापि नहीं थी। शायद कभी ईश्वर की कृपा से कोई सद्कर्म हुआ होगा, तभी एक अंतहीन भटकाव से मुक्ति का मार्ग मिला। राज्य आनंदम विभाग का मार्गदर्शन मिला तो व्यावहारिक और वास्तविक समझ पाई। ज्ञान का भ्रमजाल टूटा, पता चला कि सारा जीवन खुद से संचालित है, जब खुद से संचालित है तो हम जीवन को जैसा चाहे बना सकते है और अब तक जो जीवन जिया है, उसके लिए भी खुद ही जिम्मेदार हैं। सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी बात, ये सब अनुभव में आया। 
      राज्य आंनदम विभाग ने कोई सिद्धांत या ज्ञान नहीं दिया, बल्कि खुद को देखने की कला सिखाई, कुछ टूल्स दिए। जो सर्वभौमिक है, किसी भी देश-दुनिया, परिस्थिति में रहने वाले व्यक्ति पर काम करते है। उनके उपयोग की विधि सिखाई। इनके निरंतर प्रयोग और अभ्यास से जीवन को सही दिशा मिलती है। 
   राज्य आनंदम विभाग जो कर रहा है, वह अभूतपूर्व है, पूरे देश मे एकमात्र मध्यप्रेदश राज्य है जिसने मानव जीवन को दिशा देने के लिए एक अलग से विभाग की स्थापना की है। मेरा सौभाग्य है मुझे राज्य आंनदम विभाग का सानिध्य मिल रहा है। हाल ही में राज्य आंनदम विभाग की आनंदम सहयोगी रिफ्रेशर प्रशिक्षण में तीन दिवसीय (21-23 नवंबर 2022) आवासीय कार्यशाला में मध्य प्रदेश के 24 जिलों को शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसमे परम आदरणीय डॉ अमित मुखर्जी सर ने *तोताराम* ( मस्तिष्क) *आत्माराम* ( मन ) को इस विषय में जोड़कर जीवन जीने की कला सिखाई , आनंद विभाग के सीईओ श्री अखिलेश अर्गल सर, श्री सत्यप्रकाश आर्य सर, लखनलाल असाटी जी, अनिल कांबले जी, जितेश श्रीवास्तव जी, मुकेश कारूवा जी, प्रदीप महतो जी, सुधीर आचार्य जी, सतीश दुबे जी, शिल्पी राय जी का मार्गदर्शन मिला। इसके साथ ही प्रदेश के अलग अलग जिलों से आए साथियों के साथ एक पारिवारिक माहौल में आंनद यात्रा के तीन दिवस बीते। इससे पहले भी कई बार राज्य आनंदम विभाग के सानिध्य का अवसर मिला है, हर सानिध्य से आनंद के सफर पर बढ़ते कदमों को मजबूती मिली और नए-नए आंनदम सहयोगी यात्रियों का साथ। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में जीवन को देखने की दृष्टि और स्पष्ट हुई है। जीवन का वास्तविक और महान अनुभव रखने वाले राज्य आंनदम विभाग के सभी अधिकारी, सहयोगी व मास्टर ट्रेनर जिस उदारता से आनंद बांट रहे है, वह संसार का सबसे बड़ा पुण्य कर्म है। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है सभी आनंद श्रोतों को स्वास्थ्य, सामर्थ्य और दीर्घायु प्रदान करे। आनंद यात्रा निरंतर और निर्बाध जारी रहे, ताकि अधिक-अधिक लोग सहयात्री बनकर लाभान्वित हो सकें। आप सभी से निवेदन है आनंदम संस्थान से अवश्य जुड़े जानें कि *मैं कौन हूं मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है मेरे रिश्ते क्या है कैसे संवारे जाते हैं जीवन का लेखा जोखा जीवन में आनंद की अनुभूति का वास्तविक मार्ग ।

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