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रोजगार दिलाने के नाम पर दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास

     *रोजगार दिलाने के नाम पर दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास*            राजगढ। जिला न्यायालय राजगढ में पदस्थ जिला एवं सत्र ...



    

*रोजगार दिलाने के नाम पर दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास*

           राजगढ। जिला न्यायालय राजगढ में पदस्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. श्रीमती अंजली पारे राजगढ ने अपने न्यायालय के विशेष सत्र प्रकरण क्रमांक 106/20 में फैसला सुनाते हुयेें एक पीडित बालिका के साथ जबरदस्ती बलात्कार करने वाले नरेन्द्रसिंह (परिवर्तित नाम) को धारा 376(3). भादवि में आजीवन कारावास तथा 60 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया गया ।

            घटना का संक्षेप में विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 25.01.2019 कोे आरोपी नरेन्द्रसिंह (परिवर्तित नाम) नाम का व्यक्ति ग्राम कालीतलाई में स्वसमूह बनाने और पढी लिखी लडकियों को रोजगार दिलाने हेतु पंहुचा और रोजगार दिलाने के नाम पर *अनुसूचित जाति की बालिका को* उसके गाव से उसकी मां के सामने यह झूठ बोलकर ले गया था कि पीडित बालिका के पिता से उसकी फोन पर बात हो गई है और उसके पिता ब्यावरा में मिलेंगे और ब्यावरा में दस्तखत करवाने के बाद वह पिता के साथ पीडित बालिका वापस गांव आ जायेगी। पीडित बालिका को ले जाते समय आरोपी ने पीडिता के पिता से मोबाईल फोन पर बात करने का झूठा नाटक भी किया था और मेरी लड़की को बहला फुसलाकर अपने साथ मोटर सायकिल पर बैठाकर ले गया । 

            फरियादी का रिपोर्ट पर थाना राजगढ में अपराध क्रमांक 49/19 का कायम कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान पीडित बालिका के कथन लेख कर कथनों के आधार पर प्रकरण में धारा 363,366,376(2)एन, 376(2)आई भादवि 5/6 पॉक्सो एक्ट एवं एससी/एसटी एक्ट का इजाफा किया गया। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र विचारण हेतु न्यायालय में पेश किया गया। जिसके विचारण के दौरान न्यायालय में गवाहों के बयान लिए गये। विचारण उपरांत माननीय न्यायालय ने दण्ड के आदेश पारित किये गये है। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी श्री आलोक श्रीवास्तव राजगढ ने की है।

*डीएनए रिपोर्ट में पर्याप्त सबूत पाये गये थे:-*

अभियोजन के द्वारा प्रकरण के विचारण के दौरान पीडित बालिका के प्रदर्श एफएसएल भोपाल रासायनिक परीक्षण हेतु भेजे गये थे इसके उपरांत न्यायालय से अनुमति प्राप्त कर आरोपी के शरीर से तीन एमएल ब्लड ईडीटीए बायल में प्रिजर्व करवाकर एफएसएल भोपाल डीएनए प्रोफाईलिंग के लिए भेजा गया। एफएसएल से प्राप्त रिपोर्ट में पीडित बालिका के स्त्रोंतों पर प्राप्त डीएनए प्रोफाईल तथा आरोपी नरेन्द्रसिंह (परिवर्तित नाम) के स्त्रोत से प्राप्त डीएनए प्रोफाईल एकसमान होना पाई गई है।

*रोजगार दिलाने के नाम पर दिया धोखा:-*

आरोपी अनुसूचित जाति की 15 साल की अल्पव्यय बालिका को महिला स्वसमूह में रोजगार दिलाने के नाम पर उसके गांव कालीतलाई से ब्यावरा लेकर गया था और चाचौड़ा के पास जंगल में ले जाकर पीडित बालिका के साथ अपराध कर उसे जंगल में ही छोड़कर भाग गया था। जिला न्यायाधीश ने अभियुक्त के द्वारा पीडित बालिका को जंगल में छोड़कर भाग जाने को भी एक गंभीर परिस्थिति माना है। न्यायालय ने लिखा है कि इतनी छोटी बालिका के साथ कोई और अपराध भी घटित हो सकता था। किंतु अभियुक्त के द्वारा इस परिस्थिति पर विचार न कर अपराध करके भाग गया है इसलिए उसे कम सजा नहीं दी जा सकती।

*आरोपी की याचना भी काम नहीं आई:-*

दोषसिद्धि उपरांत आरोपी एवं उसके अधिवक्ता द्वारा न्यायालय से लगातार निवेदन किया गया कि उसे निम्न आधार पर कम से कम सजा से दण्डित किया जावे:-
1. आरोपी युवावस्था में होकर अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला है ।
2. आरोपी ने अपराध करते समय कोई क्रूरता नहीं की है ।
3. उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं, 
न्यायालय की संवेदनशील महिला जज डॉ. अंजली पारे ने अपने निर्णय में अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत परिस्थितियों को लेख करते हुये प्रकरण में दण्डादेश हेतु गुरूत्तरकारी परिस्थितियों को विचार में लिया और निम्न परिस्थितियों के आधार पर अभियुक्त को अपराध में प्रावधानित पूर्ण सजा से दण्डित किया:- 
1. आरोपी ने 37 वर्ष की आयु का होते हुये 15 साल की अवयस्क बालिका के साथ अपराध घटित किया है।
2. अभियुक्त ने पीडित बालिका के परिवार की निर्धनता और रोजगारहीनता का असम्यक लाभ लिया है।
3. अभियुक्त ने पीडित बालिका को रोजगार दिलाने में सहायता करने का प्रलोभन दिया है।
4. अभियुक्त ने मानवीयता के विरूद्ध समाज के प्रति अपराध किया है जिससे रोजगार विहीन बालिकाओं की रोजगार प्राप्त करने की आकांक्षाएं कम होंगी।
5. अभियुक्त के कृत्य से पीडित बालिका का कौमार्य भंग हुआ है, जिसके लिए वह सम्पूर्ण जीवन मानसिक कष्ट में रहेगी। 
6. अभियुक्त ने पीडित बालिका की मां से पिता की सहमति प्राप्त करने का झूठ बोलकर पीडित बालिका का अपहरण किया था। 
7. अभियुक्त ने जंगल में ले जाकर निर्जन स्थान पर पीडित बालिका के साथ अपराध घटित किया और बालिका को जंगल में ही छोड़कर भाग गया है।

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